श्री शङ्कराष्टकम्

लेखक: - रविरञ्जन कुमार झा
लेखक: - रविरञ्जन कुमार झा


मस्तके धार्यते चन्द्र:

      पाणिनिनाग्रह: प्रभु: ।

महाज्ञानप्रदोऽस्तु न:

      श्रीशङ्कराय ते नम:।।१।।      


आशुतोषो महादेव:

       पाणिनिर्येन बोधित: ।

शिवाशिवप्रियोऽस्तु न:

       श्रीशङ्कराय ते नम:।।२।।


त्रिनेत्रन्धार्यते देव:

        सदाकल्याणकारक: ।

देवदेवमहादेव:

        श्रीशङ्कराय ते नम:।।३।।


क्रोधेन कालसंहारी

        प्रेम्णा शिवकरो भवेत्।

सुशाब्दिको महादेव:

        श्रीशङ्कराय ते नम:।।४।।


यो भावेषु वशीभूत:

          सभक्तानाम्प्रिय: शिव: ।

महेश्वरो महावीर:

         श्रीशङ्कराय ते नम:।।५।।


देवतानाम्प्रियो देव:

         दुखानान्नाशकस्सदा ।

याचकानाङ्कृपासिन्धु:

         श्रीशङ्कराय ते नम:।।६।।


त्रिशूलं शोभते हस्ते

          कण्ठे च बासुकिस्तथा ।

शिरसि शोभते गंगा

         श्रीशङ्कराय ते नम:।।७।।


विराजते सदा सङ्गे

         वामाङ्गे पार्वती शिवा ।

कैलाशे राजते देव:

         श्रीशङ्कराय ते नम:।।८।।


पठन्ति मनसा नित्यं श्रीशङ्कराष्टकं नरा: ।

तेषु शिवकृपा नूनं भविष्यति न संशय: ।।


झाकोश:

रविरंजनकुमारझा:

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