तुम्हारा आना (शिवकुमार शर्मा)
आगमन
तुम्हारे आगमन से हर्षित होकर
ये आसमां जल बरसाने लगा है।
अपनी मोहोब्बत को प्रदर्शित करता
धरती से दिल को लगाने लगा है
रूठा था जो लम्बे समय से
स्वयं तुम्हें मनाने लगा है
गुजरे जो तुम बिन अब
उन लम्हों की प्यास बुझाने लगा है।
दूर होकर जो पास आते हो
अदा तुम्हारी कुछ ठीक नही
कैसे गुजरे तुम बिन वो दिन,
हाल-ए दिल सुनाने लगा है।
तुम उसकी थी वो तुम्हारा लेकिन
फिर से तुम्हे अपनाने लगा है।
ये साथ कभी भी छूटे ना
हम-तुम में कोई फिर रूठे ना
छूट जाए सारा जग लेकिन
अपना ये रिश्ता टूटे ना
-कवि शिवकुमार शर्मा(शिवा)✍🏼

बहुत खूब 👌👌👌
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