भारत माँ का मुकुट हिमाचल


 https://youtu.be/KsW7b7qD5uM




 भारत माँ का मुकुट हिमाचल

https://youtu.be/KsW7b7qD5uM

यह मुकुट है भारत मैया का

देवों की पावन धरती है।

हिम शिखरों की शोभा अनुपम 

सबके मन को हरती है।


यह धरती शूरों वीरों की

संतों की और फकीरों की 


यह धरती है किसानों की

जनपालक और रखवालों की

यह स्वर्ग  है भारत भूमि का

जहां महादेव भी वास करें

ग्राम ग्राम में देव रहें

नवदुर्गा जहां निवास करे


छोटे छोटे झरने लाखों

पञ्चनदियों का प्रदेश है

शान्ति प्रिय अनुशासन बद्घ

यहां प्रेम भरा परिवेश है


पर्वत की ऊंची चोटी पर

शिवधाम  मणिमहेश है 

नव दुर्गा के धाम यहां 

देवों से भरा प्रदेश है ।


यमुना सतलुज रावी व्यास 

निर्मलजलधार बहाती हैं 

तांडी में मिलकर चंद्रा-भागा 

चिनाब बन जाती है।


सुंदरता के कारण जिसकी,

दुनिया में अलग पहचान है

पुरा भारत है "काया" तो 

हिमाचल उसकी "जान" है।


जहां मां सती के नयन गिरे,

वहां नैना देवी रहती है।

जहां ज्योति गिरी माँ,

ज्वालामुखी की निर्मल ज्योति जगती है।


चिन्ता हरती चिन्तापूर्णी,

किन्नर कैलाश किन्नौर है।

मां शूलिनी सोलन बसी,

बाला सुन्दरी सिरमौर है।


दुनिया भर से लोग यहाँ ,

दर्शक बनकरके आते है ।

देख छठा हिमाचल की,

वो मन्त्रमुग्ध हो जाते है।


कुल्लू और मनाली के ,

दृश्यों का क्या वर्णन करें।

पर्वत की ऊँचाई और,

हरियाली देख ना मन भरें।


चम्बा रावी की गोद में,

नादान बाल सा बैठा, 

ऊँचे पर्वत पर दुर्ग सजे,

इतिहास संजोए बैठा है।


क्या खाया जिसने हिमाचल की,

शादी में धामें  खाई नहीं।

रिज पर जाकर शिमला में ,

अपनी फोटो खिंचवाई नहीं।


देखी जिसने खजियार नहीं,

उसने देखा संसार नहीं ।

अतिविस्तृत गोविन्द सागर की,

खूबसूरती का पार नहीं।


मैं यही कामना करूँ सदा

जब जब भी धरती आऊं

लाख मुसीबत मिले मुझे 

पर जन्म हिमाचल में पाऊं

- कवि शिवकुमार शर्मा(शिवा)✍🏼✍🏼

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