"नवदुर्गास्तुतिः"
| दीपक वात्स्य: |
हिमगिरितनया या शूलहस्ता भवानी,
शिवगणपरिसेव्या शैलजा या शिवानी।
सुरमुनिगणपूज्या शैलपुत्री मृडानी,
निखिलभुवनमाता पातु न: शारदाम्बा।।
या दक्षिणेऽक्षमालाञ्च धत्ते वामे कमण्डलुम्।
रक्षतान्निखिलान् भक्तान् देवी सा ब्रह्मचारिणी।।
चन्द्रवन्निर्मला घण्टा करे यस्या: सुशोभते।
शान्तिदा शिवदा माता चन्द्रघण्टेति कीर्तिता।।
घण्टाकारोऽर्धचन्द्रो हि यस्या राजति मस्तके।
शान्तिदा शिवदा माता चन्द्रघण्टेति कीर्तिता।।
अष्टभुजां सुवर्णाभां विश्वोत्पत्त्यादिहेतुकीम्।
विश्वेश्वरीं विश्वमातां कुष्माण्डां प्रणमाम्यहम्।।
जगत्कर्त्री जगन्माता जगदाधाररूपिणी।
सिंहासना च कुष्माण्डा पातु नो जगदीश्वरी।।
पद्मासना सदा देवी शुभ्रवर्णा चतुर्भुजा।
वरदात्री स्वभक्तानां स्कन्दमाता सुरेश्वरी।।
अमोघफलदात्री त्वं सदा दानवघातिनी।।
कतवंशोद्भवा देवी कात्यायनी प्रकीर्तिता।।
देवी व्यत्यस्तकेशा या कृष्णवर्णा शुभङ्करी।
सिद्धिदा भुवि सा माता कालरात्रि: प्रकीर्तिता।।
चतुर्भुजा महादेवी गौरवर्णा वृषासना।
शिवप्रिया महागौरी रक्षतान्नो महेश्वरी।।
त्रिशूलं दक्षिणे हस्तेऽभयमुद्रा तथापरे।
करे डमरुकं वामे वरमुद्राऽपि शोभते।।
सिंहासनासना माता महादेवी महेश्वरी।
सिद्धिदात्री सदा पायात् दिव्यसिद्धिप्रदायिनी।।
"वात्स्यकोश:"
रचनाकार:-
श्रीदीपककुमारचौधरी
(दीपकवात्स्यः)
स्वच्छभाषाभियानम् सुरभारतीसमुपासकाः
संस्कृतभारती
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