श्रीदुर्गापूजामभिलक्ष्य मदीया शुभकामना"
| रविरञ्जन झा |
दशभुजासुसम्पन्ना ज्ञानविज्ञानदायिका।
जगति शान्तिदात्री च दुर्गादेव्यै नमोस्तुते।।
नवदुर्गासु या देवी राजते वृषभे सदा।
चन्द्रार्धं धार्यते भाले शैलपुत्रीं नमाम्यहम्।।
नवदुर्गासु या देवी धत्ते मालाकमण्डलू ।
विराजते सदा श्वेते सा माता ब्रह्मचारिणी।।
नवदुर्गासु या देवी विराजते सिंहे सदा।
शिरसि शोभते चन्द्र: चन्द्रघण्टेति सोच्यते ।।
नवदुर्गासु या देवी शान्तिरुपे विराजते।
कलशं शोभते हस्ते कुष्माण्डा वरदा शुभा।।
नवदुर्गासु या देवी श्रद्धया पूज्यते सदा।
अंके सुराजते स्कन्दस्स्कन्दमाता प्रकीर्तिता।।
नवदुर्गासु या देवी कात्यायनेन पूजिता।
अष्टादशभुजायुक्ता कात्यायनीं नमाम्यहम्।।
नवदुर्गासु या देवी दर्शनेन भयङ्करी।
म्लेच्छानां हरति क्रोधात्कालरात्रिं नमाम्यहम्।।
नवदुर्गासु या देवी विद्याबुद्धिं प्रदायिनी।
श्वेताम्बरा सदा देवी महागौरी सुरेश्वरी।।
नवदुर्गासु या देवी सदा कल्याणकारिणी।
सिद्धिदात्री महादेवी मुहुर्मुहु: नमोस्तुते।।
झाकोश:
झोपाख्यो रविरञ्जन:
(रविरंजन कुमार झा)
सुरभारतीसमुपासका:
स्वच्छभाषाभियानम्
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंपढ़कर आनंद आ गया।
जवाब देंहटाएंजय माता दी।
धन्यवाद
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